Sunday, October 9, 2016

जाँविदां...!!!


जाने–जाँ आप क्या मेहरबां हो गए...
एक ज़र्रे से हम आसमां हो गए ;
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यूँ महकने लगे जिस्मो-जां इश्क़ से ...
कल थे गुल आज हम गुलसितां हो गए ;
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छू गई वो नज़र उसकी ज़ादू भरी...
थम गई उम्र हम नौजवां हो गए ;
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उसकी आँखों ने की गुफ़्तगू इस तरह..
एक पल में हमें सौ गुमां हो गए ;
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चल दिए सब पता पूछ कर इश्क़ का..
और हम इश्क़ की दास्ताँ हो गए ;
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मेरी मंजिल मिलेगी मुझे किस तरह....
रास्ते सब के सब बेनिशां हो गए ;
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इश्क़ की राह में ये अजूबा हुआ......
हम थे फ़ानी ‘सदफ़’ जाँविदां हो गए...!!
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............................तरुणा मिश्रा ‘सदफ़’..!!!






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