Wednesday, September 21, 2016

एक ख़त ...!!!

ख़त तुमको दिलदार लिखूँगी..
पायल कंगन हार लिखूँगी ;
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मैं कश्ती हूँ जीवन तूफां...
पर तुमको पतवार लिखूँगी ;
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जो है उल्फ़त नए चलन की...
उसको कारोबार लिखूँगी ;
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सीने से एक बार लगा लो...
तुमको अपना प्यार लिखूँगी ;
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जब भी मयस्सर होगी फ़ुर्सत...
मिलना नदिया पार लिखूँगी ;
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तुम हो मेरे , हाँ मेरे हो...
एक नहीं सौ बार लिखूँगी ;
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तुम ही नहीं तो मैं काजल को...
इन पलकों पर भार लिखूँगी ;
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तुम बिन जो बीतेगा 'तरुणा'...
उस पल को आज़ार लिखूँगी..!!
(आज़ार- दुःख )
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..................................'तरुणा'...!!!

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