Tuesday, February 9, 2016

ये माज़रा ...!!!



अक्स अपना ही ख़ुद से ख़फा देखकर ...
लापता ख़ुद हूँ ये माज़रा देखकर ;
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भूल अपनी किसी को न आई नज़र ...
ख़ुश हैं सब दूसरों की ख़ता देखकर ;
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बज़्म से फिर भला कैसे जाते बता..
जम गए ज़िक्र तेरा छिड़ा देखकर ;
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बात दिल की दबी की दबी रह गई ..
रंग चेहरे का बदला हुआ देखकर ;
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दुश्मनों से नही अब कोई भी गिला..
दोस्तों ने जो दी वो दगा देखकर ;
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कल तलक तो हमारे शनासा थे वो...
आज बदले हैं बदली हवा देखकर ;
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प्यार पर जान हम भी छिड़कते सनम...
बात बिगड़ी तुम्हारी अना देखकर ;
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साफ़ कह दो छुपाओ न क्या बात है ..
हम भी उलझे तुम्हे रूठता देखकर ;
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................................................'तरुणा'...!!!


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