Sunday, October 18, 2015

दस्तक... !!!












दिल पे दस्तक हुई अजनबी दोस्तों...
छा गई सर-ओ-पा तक ख़ुशी दोस्तों ;
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इश्क़ में नाम पहुंचा फ़लक तक मेरा..
अब सितारों सी है ज़िंदगी दोस्तों ;
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सब समझते रहे आँख में कुछ पड़ा...
मैं छुपाती रही इक नदी दोस्तों ;
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बज़्म में हर किसी की थी शिरक़त मगर...
दिल को खलती थी उसकी कमी दोस्तों ;
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उम्र भर रोशनी  हम लुटाते रहे..
फिर भी कितनी रही तीरगी दोस्तों ;
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घर से बाहर ज़रा सा जो निकले हैं हम..
साथ भटकी है आवारगी दोस्तों ;
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आज बादल को खुल के बरसने तो दो..
बढ़ गई  हद से अब तिश्नगी दोस्तों..!!
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.....................................................'तरुणा'....!!!
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Dil pe dastak huyi ajnabee doston ..
Chha gayi sar-o-paa tak khushi doston ;
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Ishq me naam pahuncha falak tak mera ..
Ab sitaron si hai zindgi doston ;
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Sab samajhte rahe aankh me kuchh pada...
Main chhupaati rahi ik nadi doston ;
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Bazm me har kisi ki thi shirqat magar....
Dil ko khalti thi  uski kami doston ;
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Umr bhar roshni ham lutaate rahe...
Phir bhi kitni rahi teergi doston ;
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Ghar se baahar zara sa jo nikale hain ham..
Saath bhatki hai aawargi doston ;
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Aaj badal ko khul ke barasne to do..
Badh gayi had se ab tishnagi doston...!!
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……………………………………………………………….’Taruna’…!!!








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