Thursday, August 27, 2015

आग का दरिया ..!!!




ज़िंदगी से पूछिये मत क़र्ज़ है कितना मिला ...
मुश्किलों के बीच से ही  जीने का रस्ता मिला ;
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यूँ परख की दोस्तों की  हमने इतनी भीड़ में ...
जो रहा नज़दीक उससे  ज़ख्म भी गहरा मिला ;
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खा गए धोखे पे धोखा  शक्ल थी मासूम सी..
सामने कुछ और था  पीछे अलग चेहरा मिला ;
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यूँ सराबों का बनी मज्मा  हमारी ज़िंदगी...
बारिशों की ख्वाहिशें थी  आग का दरिया मिला ;
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मर रहे थे बिलबिला के  भूख से मजलूम जब...
हुक्मरां खामोश थे  और हर जगह ताला मिला ;
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रौनके क़ायम थीं उनसे  बज़्म में आते थे जब...
बात जाने क्या हुई उस  हुस्न पे पहरा मिला ;
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ये अजब दस्तूर दुनिया में मिला क्यूँ हर जगह...
जो भला जितना ही ज्यादा  है वही तन्हा मिला ;
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मुफलिसों के चीखने के  दर्द से आया समझ ..
ईश ही पत्थर नहीं  अल्लाह भी बहरा मिला ;
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शह्र अपना था कभी  अब  अजनबी लगता मुझे ...
बाद तेरे कोई  भी मुझको नहीं  तुझसा मिला..!!
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..................................................................'तरुणा'...!!!

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Zindgi se poochhiye mat karz hai kitna   mila ..
Mushqilon ke beech se hi  jeene ka rasta mila ;

Yun parakh ki doston ki  hamne itni bheed me..
Jo raha najdeek us'sey  zakhm bhi gehra mila ;
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Kha gaye dhokhe pe dhokha  shakl thi maasoom si..
Saamne kuchh aur tha  peechhe alag chehra mila ;
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Yun sarabon ka bani majma  hamari zindgi ..
Baarishon ki khwaahishein thi  aag ka dariya mila ;
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Mar rahe the bilbila ke  bhookh se majloom jab..
Hukmraan khamosh the aur  har jagah taala mila ;
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Raunqein qaayam thi unse  bazm me aate the jab..
Baat jaane kya huyi  us husn pe pehra mila ;
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Ye ajab dastoor duniya me mia  kyun har dafa..
Jo bhala jitna hi zyada  hai vahi tanha mila ;
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Sar patakte rahe barson  usee chaukhat pe ham..
Ish bhi pat'thar hi tha  Allaah  bhi behra mila ;
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Shehr apna tha kabhi  ab ajnabee lagta mujhe..
Baad tere koi bhi mujhko nahi  tujhsa mila ..!!
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........................................................................'Taruna'...!!!




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