Monday, May 4, 2015

मुझे सब है याद..... ज़रा ज़रा...!!!




तुमको शायद .. याद नहीं है .. मुझको सब है .. याद पिया..!
कैसे बीते ... साल-महीने .... और कटे दिन-रात .. पिया ...!!
.
वें सारी महकी सी यादें ...
तुमको पास  ... बुलाती है...
निशा जगा .. अंतिम बेला में...
छेड़ मुझे ... मदमाती है ..
सपनो सी .. रंगीली दुनिया..
बन चलचित्र .. लुभाती है ..
संग-साथ बीते .. जो पल-छिन..
उनसे मेल .. कराती है..
कोमल मन-दर्पण में अक्सर...
करती हैं ... आघात पिया.... !!
तुमको शायद .. याद नहीं है .... मुझको सब है.. याद पिया..!
कैसे बीते ... साल-महीने .... और कटे दिन-रात .. पिया ...!!
.
भरी-दुपहरी .. नदी किनारे...
छुप-छुप ... मिलने को आना...
प्रेम-पगी .. उस मधुर बांसुरी...
में.. मल्हारों को गाना....
नदिया की वें .. चंचल लहरें...
मूक गवाही .. देतीं हैं...
आपस के वें... कितने किस्से...
अब भी तो... सुन लेतीं हैं..
चमकीली .. रेतीली..  चादर…
सजती बन ... बारात पिया....!!
तुमको शायद .. याद नहीं है .. मुझको सब है .. याद पिया..!
कैसे बीते ... साल-महीने .... और कटे दिन-रात .. पिया ...!!
.
सांझ ढले जब.. पुलक पावनी...
चपल चांदनी .. छाती है...
शीतल -पुलकित .. किरणों से जाने..
फिर क्या ... सुलगाती है....
निस दिन चलती .. मदिर हवा यह..
बेसुध कर ... इठलाती है...
कैसे तुमको ... मैं बतलाऊं...
कितना मुझे ... सताती है...
भूल न पाऊं... मैं पल भर को...
नेह भरी वे.. बात... पिया...!!
तुमको शायद .. याद नहीं है .. मुझको सब है .. याद पिया..!
कैसे बीते ... साल-महीने .... और कटे दिन-रात .. पिया ...!!
.
अमराई में .. यौवन छाया...
कलियों पर.. नवगीत खिले...
झूम रही फिर.. डाली-डाली..
हँसे पर्ण ... कोंपल मचले..
भंवरो के गुंजन से.. वन में...
नई ग़ज़ल भी ... संवरी है...
मेरे मन-मंदिर में ... तेरी ..
फिर-फिर वह ... छवि उभरी है..
तितली .. पंछी... धवल चांदनी...
मेरे ही ... ज़ज्बात पिया....!!
तुमको शायद .. याद नहीं है .. मुझको सब है .. याद पिया..!
कैसे बीते ... साल-महीने .... और कटे दिन-रात .. पिया ...!!


....................................................................................... 'तरुणा'.....!!!

2 comments:

Unknown said...

ज़बरदस्त

taruna misra said...

नवीन कृष्णा जी... बहुत आभारी हूँ.. :)