Wednesday, March 25, 2015

वो बशर...!!!




आरज़ू जिसकी मुझे थी ...  वो बशर मिलता नहीं...
हैं सभी मेरे यहाँ पर ...... हमसफ़र मिलता नहीं ;
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ढूंढने जिसको भी निकली .... मंज़िलें वो सब मिली...
खो गई हर राह मेरी ....... और घर मिलता नहीं ;
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वापसी का रास्ता ... आख़िर मैं ढूँढूं किस तरह...
रात है कितनी अंधेरी .... राहबर मिलता नहीं ;
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चांद उगता हो जहाँ  .... तारे हज़ारों हो खिले...
फूल मुस्काते सभी हो ... वो नगर मिलता नहीं ;
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दुश्मनों की बेदिली भी .... काम अब आती नहीं ..
दोस्तों की दोस्ती में भी .... असर मिलता नहीं ;
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कल तलक सब साथ थे ... पत्ते .. परिंदे .. डालियाँ...
जो हरा हर दम रहे .... ऐसा शज़र मिलता नहीं ...!!
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..........................................................................'तरुणा'...!!!

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Aarzoo jiski mujhe thi  .... wo bashar milta nahi...
Hai sabhi mere yahan par ... hamsafar milta nahi ;
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Dhoondhne jisko bhi nikali ..  manzilein wo sab mili ..
Kho gayi har raah meri .........  aur ghar milta nahi ;
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Waapsi ka raasta ....  aakhir main dhundhun kis tarah...
Raat hai kitni andheri .........   raahbar milta nahi  ;
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Chaand ugta ho jahan ... taare hazaron ho khile ..
Phool muskaate sabhi ho ... wo nagar milta nahi ;
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Dushmano ki bedili bhi ...  kaam ab aati nahi ...
Doston ki dosti me bhi …..  asar milta nahi ;
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Kal talak sab saath the ... pat'te.. parinde .. daaliyaan..
Jo hara har dam rahe ......  aisa shazar milta nahi ...!!
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.........................................................................'Taruna'.... !!! 

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