Wednesday, July 9, 2014

नए आयाम...!!!




ज़िंदगी के हर आयाम पर .. ज़ज्बे कितने मचल गए....
कुछ ख्व़ाब टूटे थे मगर ... कुछ नए भी तो खिल गए ;

जो गुल खिले थे शाख़ पर .... सराहा उन्हें सभी ने है...
जो गुल ज़मीं पर गिर पड़े ..... पैरों तले कुचल गए ;

इस राहे-ज़िंदगी में कितने .. मोड़ तो आए मगर...
साथ छूटा है पुराना तो ... नए अहबाब भी मिल गए ;
(अहबाब-मित्र)

तब ग़ैरों की हथकड़ियां थीं.... अब बेड़ियां अपनों की हैं...
आज़ाद हम हुए नहीं .... बस चेहरे हैं बदल गए ;

नफरत की आँधियों में तो... कोई दम मुझे दिखता नहीं...
जबसे मुहब्बत के चराग़... हज़ारों इस दिल में जल गए ;

कोई साथ दे के.. न दे 'तरु' .... रोते रहें .. क्यूँ  रोना यही...
मंसूबे हैं सबके जुदा जुदा ...  क्या शिकवा जो बदल गए ....!!

...............................................................................'तरुणा'...!!!



Zindgi ke har aayaam par ..... zazbe kitne machal gaye... 
Kuchh khwaab tute the magar .. kuchh naye bhi to khil gaye ;

Jo gul khile the shaakh par.... saraha unhe sabhi ne hai ....
Jo gul zameen par gir pade .... pairon tale kuchal gaye ;

Is raahe-zindgi me kitne ...... mod to aaye magar...
Saath chhuta hai purana to .... naye ehbaab bhi mil gaye ;
(ehbaab-friend)

Tab gairon ki hathkadiyaan thi.... ab bediyaan apno ki hain..
Aazaad ham huye nahi ..... bas chehre hain badal gaye ;

Nafrat ki aandhiyon me to .... koi dam nahi dikhta mujhe....
Jabse muhabbat ke charaag ... hazaron is dil me jal gaye ;


Koi saath de ke ... na de 'Taru' ... rote rahein .. kyu rona yahi..
Mansoobe hain sabke juda juda .. kya shiqwa jo badal gaye ..!!


.............................................................................................'Taruna'..!!!



























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