Monday, June 16, 2014

फिर एक बार... !!!



चलो फिर आज.. ज़िंदगी के पन्ने .. पलटते हैं...
चंद लम्हों में ही ... बरसों का सफ़र करते  हैं ;

क्या खोया ..क्या पाया... ये हिसाब भी करेंगे लेकिन..
पहले देखे के ..... इन ठोकरों से...  कैसे संभलते हैं ;

एक राह में भी ... जुदा-जुदा चलें हैं हम बरसों... 
चलो अब तो .... एक मंज़िल पे जाके निकलते हैं ;

कुछ ख्व़ाब पूरे हुए मेरे .... तो हुए कुछ तुम्हारे भी...
क्या अब भी कोई एक ख्व़ाब.. साथ में देख सकते हैं ?

उम्र का था वो दौर के ..... रह सकते थे अकेले भी ...
'तरु' चलो इस पड़ाव में तो... इक-दूसरे में ढलते हैं .. !!


.................................................................'तरुणा'....!!!


Chalo phir aaj  .. zindgi ke panne  palat'tey hain...
Chand lamho me hi .... barson ka safar kartey hain ;

Kya khoya..kya paya... ye hisaab bhi karenge lekin..
Pahle dekhe ki.. in thokro se ... kaise sambhaltey hain ;

Ek raah me bhi .. juda-juda chaley hain ham barson...
Chalo ab to ...... ek manzil pe jaake nikaltey hain ;

Kuchh khwaab poore huye mere ... to huye kuchh tumhare bhi...
kya ab bhi koi ek khwaab ... saath me dekh saktey hain ?

Umar ka wo daur tha ke ...... rah saktey the akele bhi ...
'Taru' chalo is padaav me to .... ek-dusre me dhaltey hain..!!


...........................................................................................'Taruna'...!!!






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