Thursday, November 22, 2012

इंतज़ार उनका..........


मन फिर बहक रहा है...
आने का वादा किया है...उन्होने..
और उनके आने के इंतज़ार में...

सारे रास्ते मुस्कुराते रहे....
दरवाज़े खनक-खनक जाते....
धड़कने लगी हैं....सीढ़ियाँ 
हवाएँ ये महकने लगी....
गुनगुनाने लगी हैं....वादियाँ..
रात जगमगाने लगी....
खिलखिलाने लगी हैं...सर्दियाँ....

दीवारें पिघलने सी लगी....
बज उठी हैं..घंटियाँ..
झनकने लगी हैं पायल मेरी....
छनकने लगी हैं चूड़ियाँ......
दमकने लगा है तन मेरा अब..
लपकने लगी हैं बिजलियाँ.....
भीगने लगी हूँ तरबतर मैं....
ख़्यालों की चली हैं पुरवाईयाँ....

रात सरकने लगी है धीरे-धीरे.....
तरसने लगी हैं तनहाईयाँ....
मैं भी चटकने लगी अब....
शोर मचाने लगी हैं सिसकियाँ....
दरवाज़े चौंक-चौंक गये.....
रोने लगी है अब खिड़कियाँ....
बदलने लगा है सारा समा.....
न जाने क्या थी ग़लतियाँ????

आने का वादा किया था उन्होने...
हम इंतज़ार करते रहे...करते रहे....
रात सरकती रही......
और मैं जागती रही.....
जागती रही......रात-रात भर.......
उनके आने के इंतज़ार में.......
................................तरुणा||    

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